21۞ وَقالَ الَّذينَ لا يَرجونَ لِقاءَنا لَولا أُنزِلَ عَلَينَا المَلائِكَةُ أَو نَرىٰ رَبَّنا ۗ لَقَدِ استَكبَروا في أَنفُسِهِم وَعَتَوا عُتُوًّا كَبيرًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर जो लोग (क़यामत में) हमारी हुज़ूरी की उम्मीद नहीं रखते कहा करते हैं कि आख़िर फरिश्ते हमारे पास क्यों नहीं नाज़िल किए गए या हम अपने परवरदिगार को (क्यों नहीं) देखते उन लोगों ने अपने जी में अपने को (बहुत) बड़ा समझ लिया है और बड़ी सरकशी की