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Sura 39
Aya 56
56
أَن تَقولَ نَفسٌ يا حَسرَتا عَلىٰ ما فَرَّطتُ في جَنبِ اللَّهِ وَإِن كُنتُ لَمِنَ السّاخِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहीं ऐसा न हो कि कोई व्यक्ति कहने लगे, "हाय, अफ़सोस उसपर! जो कोताही अल्लाह के हक़ में मैंने की। और मैं तो परिहास करनेवालों मं ही सम्मिलित रहा।"