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Sura 12
Aya 111
111
لَقَد كانَ في قَصَصِهِم عِبرَةٌ لِأُولِي الأَلبابِ ۗ ما كانَ حَديثًا يُفتَرىٰ وَلٰكِن تَصديقَ الَّذي بَينَ يَدَيهِ وَتَفصيلَ كُلِّ شَيءٍ وَهُدًى وَرَحمَةً لِقَومٍ يُؤمِنونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

इसमें शक़ नहीं कि उन लोगों के किस्सों में अक़लमन्दों के वास्ते (अच्छी ख़ासी) इबरत (व नसीहत) है ये (क़ुरान) कोई ऐसी बात नहीं है जो (ख्वाहामा ख्वाह) गढ़ ली जाए बल्कि (जो आसमानी किताबें) इसके पहले से मौजूद हैं उनकी तसदीक़ है और हर चीज़ की तफसील और ईमानदारों के वास्ते (अज़सरतापा) हिदायत व रहमत है