57قُل ما أَسأَلُكُم عَلَيهِ مِن أَجرٍ إِلّا مَن شاءَ أَن يَتَّخِذَ إِلىٰ رَبِّهِ سَبيلًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर उन लोगों से तुम कह दो कि मै इस (तबलीगे रिसालत) पर तुमसे कुछ मज़दूरी तो माँगता नहीं हूँ मगर तमन्ना ये है कि जो चाहे अपने परवरदिगार तक पहुँचने की राह पकडे