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Sura 29
Aya 2
2
أَحَسِبَ النّاسُ أَن يُترَكوا أَن يَقولوا آمَنّا وَهُم لا يُفتَنونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या लोगों ने यह समझ रखा है कि वे इतना कह देने मात्र से छोड़ दिए जाएँगे कि "हम ईमान लाए" और उनकी परीक्षा न की जाएगी?