2أَحَسِبَ النّاسُ أَن يُترَكوا أَن يَقولوا آمَنّا وَهُم لا يُفتَنونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदक्या लोगों ने यह समझ रखा है कि वे इतना कह देने मात्र से छोड़ दिए जाएँगे कि "हम ईमान लाए" और उनकी परीक्षा न की जाएगी?