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Sura 29
Aya 26
26
۞ فَآمَنَ لَهُ لوطٌ ۘ وَقالَ إِنّي مُهاجِرٌ إِلىٰ رَبّي ۖ إِنَّهُ هُوَ العَزيزُ الحَكيمُ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर लूत ने उसकी बात मानी औऱ उसने कहा, "निस्संदेह मैं अपने रब की ओर हिजरत करता हूँ। निस्संदेह वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।"