48وَما كُنتَ تَتلو مِن قَبلِهِ مِن كِتابٍ وَلا تَخُطُّهُ بِيَمينِكَ ۖ إِذًا لَارتابَ المُبطِلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदइससे पहले तुम न कोई किताब पढ़ते थे और न उसे अपने हाथ से लिखते ही थे। ऐसा होता तो ये मिथ्यावादी सन्देह में पड़ सकते थे