56يا عِبادِيَ الَّذينَ آمَنوا إِنَّ أَرضي واسِعَةٌ فَإِيّايَ فَاعبُدونِफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऐ मेरे ईमानदार बन्दों मेरी ज़मीन तो यक़ीनन कुशादा है तो तुम मेरी ही इबादत करो