64وَما هٰذِهِ الحَياةُ الدُّنيا إِلّا لَهوٌ وَلَعِبٌ ۚ وَإِنَّ الدّارَ الآخِرَةَ لَهِيَ الحَيَوانُ ۚ لَو كانوا يَعلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर ये दुनिया की ज़िन्दगी तो खेल तमाशे के सिवा कुछ नहीं और मगर ये लोग समझें बूझें तो इसमे शक नहीं कि अबदी ज़िन्दगी (की जगह) तो बस आख़ेरत का घर है (बाक़ी लग़ो)