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Sura 3
Aya 25
25
فَكَيفَ إِذا جَمَعناهُم لِيَومٍ لا رَيبَ فيهِ وَوُفِّيَت كُلُّ نَفسٍ ما كَسَبَت وَهُم لا يُظلَمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

फ़िर उनकी क्या गत होगी जब हम उनको एक दिन (क़यामत) जिसके आने में कोई शुबहा नहीं इक्ट्ठा करेंगे और हर शख्स को उसके किए का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उनकी किसी तरह हक़तल्फ़ी नहीं की जाएगी