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Sura 30
Aya 34
34
لِيَكفُروا بِما آتَيناهُم ۚ فَتَمَتَّعوا فَسَوفَ تَعلَمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ताकि जो (नेअमत) हमने उन्हें दी है उसकी नाशुक्री करें ख़ैर (दुनिया में चन्दरोज़ चैन कर लो) फिर तो बहुत जल्द (अपने किए का मज़ा) तुम्हे मालूम ही होगा