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Sura 30
Aya 36
36
وَإِذا أَذَقنَا النّاسَ رَحمَةً فَرِحوا بِها ۖ وَإِن تُصِبهُم سَيِّئَةٌ بِما قَدَّمَت أَيديهِم إِذا هُم يَقنَطونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और जब हमने लोगों को (अपनी रहमत की लज्ज़त) चखा दी तो वह उससे खुश हो गए और जब उन्हें अपने हाथों की अगली कारसतानियो की बदौलत कोई मुसीबत पहुँची तो यकबारगी मायूस होकर बैठे रहते हैं