41ظَهَرَ الفَسادُ فِي البَرِّ وَالبَحرِ بِما كَسَبَت أَيدِي النّاسِ لِيُذيقَهُم بَعضَ الَّذي عَمِلوا لَعَلَّهُم يَرجِعونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदथल और जल में बिगाड़ फैल गया स्वयं लोगों ही के हाथों की कमाई के कारण, ताकि वह उन्हें उनकी कुछ करतूतों का मज़ा चखाए, कदाचित वे बाज़ आ जाएँ