164وَما مِنّا إِلّا لَهُ مَقامٌ مَعلومٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर फरिश्ते या आइम्मा तो ये कहते हैं कि मैं हर एक का एक दरजा मुक़र्रर है