98إِلَّا المُستَضعَفينَ مِنَ الرِّجالِ وَالنِّساءِ وَالوِلدانِ لا يَستَطيعونَ حيلَةً وَلا يَهتَدونَ سَبيلًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीमगर जो मर्द और औरतें और बच्चे इस क़दर बेबस हैं कि न तो (दारूल हरब से निकलने की) काई तदबीर कर सकते हैं और उनकी रिहाई की कोई राह दिखाई देती है