مُحَمَّدٌ رَسولُ اللَّهِ ۚ وَالَّذينَ مَعَهُ أَشِدّاءُ عَلَى الكُفّارِ رُحَماءُ بَينَهُم ۖ تَراهُم رُكَّعًا سُجَّدًا يَبتَغونَ فَضلًا مِنَ اللَّهِ وَرِضوانًا ۖ سيماهُم في وُجوهِهِم مِن أَثَرِ السُّجودِ ۚ ذٰلِكَ مَثَلُهُم فِي التَّوراةِ ۚ وَمَثَلُهُم فِي الإِنجيلِ كَزَرعٍ أَخرَجَ شَطأَهُ فَآزَرَهُ فَاستَغلَظَ فَاستَوىٰ عَلىٰ سوقِهِ يُعجِبُ الزُّرّاعَ لِيَغيظَ بِهِمُ الكُفّارَ ۗ وَعَدَ اللَّهُ الَّذينَ آمَنوا وَعَمِلُوا الصّالِحاتِ مِنهُم مَغفِرَةً وَأَجرًا عَظيمًا
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
मोहम्मद ख़ुदा के रसूल हैं और जो लोग उनके साथ हैं काफ़िरों पर बड़े सख्त और आपस में बड़े रहम दिल हैं तू उनको देखेगा (कि ख़ुदा के सामने) झुके सर बसजूद हैं ख़ुदा के फज़ल और उसकी ख़ुशनूदी के ख्वास्तगार हैं कसरते सुजूद के असर से उनकी पेशानियों में घट्टे पड़े हुए हैं यही औसाफ़ उनके तौरेत में भी हैं और यही हालात इंजील में (भी मज़कूर) हैं गोया एक खेती है जिसने (पहले ज़मीन से) अपनी सूई निकाली फिर (अजज़ा ज़मीन को गेज़ा बनाकर) उसी सूई को मज़बूत किया तो वह मोटी हुई फिर अपनी जड़ पर सीधी खड़ी हो गयी और अपनी ताज़गी से किसानों को ख़ुश करने लगी और इतनी जल्दी तरक्क़ी इसलिए दी ताकि उनके ज़रिए काफ़िरों का जी जलाएँ जो लोग ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे ख़ुदा ने उनसे बख़्शिस और अज्रे अज़ीम का वायदा किया है