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Sura 6
Aya 52
52
وَلا تَطرُدِ الَّذينَ يَدعونَ رَبَّهُم بِالغَداةِ وَالعَشِيِّ يُريدونَ وَجهَهُ ۖ ما عَلَيكَ مِن حِسابِهِم مِن شَيءٍ وَما مِن حِسابِكَ عَلَيهِم مِن شَيءٍ فَتَطرُدَهُم فَتَكونَ مِنَ الظّالِمينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जो लोग अपने रब को उसकी ख़ुशी की चाह में प्रातः और सायंकाल पुकारते रहते है, ऐसे लोगों को दूर न करना। उनके हिसाब की तुमपर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं है और न तुम्हारे हिसाब की उनपर कोई ज़िम्मेदारी है कि तुम उन्हें दूर करो और फिर हो जाओ अत्याचारियों में से