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Sura 6
Aya 91
91
وَما قَدَرُوا اللَّهَ حَقَّ قَدرِهِ إِذ قالوا ما أَنزَلَ اللَّهُ عَلىٰ بَشَرٍ مِن شَيءٍ ۗ قُل مَن أَنزَلَ الكِتابَ الَّذي جاءَ بِهِ موسىٰ نورًا وَهُدًى لِلنّاسِ ۖ تَجعَلونَهُ قَراطيسَ تُبدونَها وَتُخفونَ كَثيرًا ۖ وَعُلِّمتُم ما لَم تَعلَموا أَنتُم وَلا آباؤُكُم ۖ قُلِ اللَّهُ ۖ ثُمَّ ذَرهُم في خَوضِهِم يَلعَبونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने अल्लाह की क़द्र न जानी, जैसी उसकी क़द्र जाननी चाहिए थी, जबकि उन्होंने कहा, "अल्लाह ने किसी मनुष्य पर कुछ अवतरित ही नहीं किया है।" कहो, "फिर यह किताब किसने अवतरित की, जो मूसा लोगों के लिए प्रकाश और मार्गदर्शन के रूप में लाया था, जिसे तुम पन्ना-पन्ना करके रखते हो? उन्हें दिखाते भी हो, परन्तु बहुत-सा छिपा जाते हो। और तुम्हें वह ज्ञान दिया गया, जिसे न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप-दादा ही।" कह दो, "अल्लाह ही ने," फिर उन्हें छोड़ो कि वे अपनी नुक्ताचीनियों से खेलते रहें