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Sura 62
Aya 5
5
مَثَلُ الَّذينَ حُمِّلُوا التَّوراةَ ثُمَّ لَم يَحمِلوها كَمَثَلِ الحِمارِ يَحمِلُ أَسفارًا ۚ بِئسَ مَثَلُ القَومِ الَّذينَ كَذَّبوا بِآياتِ اللَّهِ ۚ وَاللَّهُ لا يَهدِي القَومَ الظّالِمينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

जिन लोगों (के सरों) पर तौरेत लदवायी गयी है उन्होने उस (के बार) को न उठाया उनकी मिसाल गधे की सी है जिस पर बड़ी बड़ी किताबें लदी हों जिन लोगों ने ख़ुदा की आयतों को झुठलाया उनकी भी क्या बुरी मिसाल है और ख़ुदा ज़ालिम लोगों को मंज़िल मकसूद तक नहीं पहुँचाया करता