54أُولٰئِكَ يُؤتَونَ أَجرَهُم مَرَّتَينِ بِما صَبَروا وَيَدرَءونَ بِالحَسَنَةِ السَّيِّئَةَ وَمِمّا رَزَقناهُم يُنفِقونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदये वे लोग है जिन्हें उनका प्रतिदान दुगना दिया जाएगा, क्योंकि वे जमे रहे और भलाई के द्वारा बुराई को दूर करते है और जो कुछ रोज़ी हमने उन्हें दी हैं, उसमें से ख़र्च करते है