55وَإِذا سَمِعُوا اللَّغوَ أَعرَضوا عَنهُ وَقالوا لَنا أَعمالُنا وَلَكُم أَعمالُكُم سَلامٌ عَلَيكُم لا نَبتَغِي الجاهِلينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर जब किसी से कोई बुरी बात सुनी तो उससे किनारा कश रहे और साफ कह दिया कि हमारे वास्ते हमारी कारगुज़ारियाँ हैं और तुम्हारे वास्ते तुम्हारी कारस्तानियाँ (बस दूर ही से) तुम्हें सलाम है हम जाहिलो (की सोहबत) के ख्वाहॉ नहीं