66لِيَكفُروا بِما آتَيناهُم وَلِيَتَمَتَّعوا ۖ فَسَوفَ يَعلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीताकि जो (नेअमतें) हमने उन्हें अता की हैं उनका इन्कार कर बैठें और ताकि (दुनिया में) ख़ूब चैन कर लें तो अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा